ओलंपिक खेलों की मेजबानी व्यर्थ की परियोजना: कार्ति चिदंबरम

नयी दिल्ली. कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि ओलंपिक खेलों की मेजबानी को ”व्यर्थ परियोजना” है और देश को एथेंस और रियो डी जनेरियो के कड़वे अनुभवों से सीखना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय एथलीटों के प्रशिक्षण में निवेश करना और अगले कुछ आयोजनों में सम्मानजनक संख्या में पदक जीतना बेहतर है.

कार्ति ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने 2036 में होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी करने के लिए देश की इच्छा व्यक्त करने से संबंधित आशय पत्र अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को सौंप दिया है जो इन खेलों के आयोजन की दिशा में उठाया गया पहला बड़ा कदम है.

कार्ति ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”वह कौन सा शहर है जो बोली लगा रहा है? यह एक व्यर्थ परियोजना है. हमें ओलंपिक आयोजित करने का लक्ष्य नहीं रखना चाहिए.” तमिलनाडु के शिवगंगा से सांसद ने कहा, ”हमें एथेंस और रियो के कड़वे अनुभवों और नतीजों से सीखना चाहिए. हमारे एथलीटों के प्रशिक्षण में निवेश करना और अगली कुछ स्पर्धाओं में सम्मानजनक संख्या में पदक जीतना बेहतर है.” एथेंस (यूनान) ने 2004 में ओलंपिक की मेजबानी की थी, वहीं रियो डी जनेरियो (ब्राजील) ने 2016 में इन खेलों की मेजबानी की थी. एथेंस और रियो दोनों को ओलंपिक खेलों की मेजबानी के बाद कथित तौर पर आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. कार्ति ने वर्ष 2022 में भी ओलंपिक के लिए बोली लगाने के प्रयास के खिलाफ संसद में अपनी बात रखी थी.

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