ट्रूडो सरकार के निराधार आरोपों के कारण भारत-कनाडा के बीच मौजूदा तनाव बढ़ा : विदेश मंत्रालय

नयी दिल्ली/वाशिंगटन. भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि कनाडा के साथ मौजूदा कूटनीतिक विवाद ट्रूडो सरकार के “निराधार” आरोपों के कारण उत्पन्न हुआ है, तथा नयी दिल्ली के खिलाफ ओटावा के गंभीर आरोपों के समर्थन में “कोई सबूत” साझा नहीं किया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा सार्वजनिक जांच के दौरान की गयी स्वीकारोक्ति से भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों का महत्व पता चलता है.

संघीय चुनाव प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच के समक्ष गवाही देते हुए ट्रूडो ने बुधवार को स्वीकार किया कि जब उन्होंने पिछले वर्ष खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था, तब उनके पास केवल खुफिया जानकारी थी और कोई “ठोस साक्ष्य” नहीं था.

विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उसने जो सुना है, वह नयी दिल्ली के इस दृढ़ रुख की पुष्टि करता है कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ ओटावा द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के समर्थन में ह्लहमें कोई सबूत पेश नहीं किया हैह्व. जायसवाल ने दोहराया कि अभी तक कनाडा द्वारा कोई सबूत साझा नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा, ह्लवर्तमान संकट (भारत-कनाडा संबंधों में) ट्रूडो सरकार के निराधार आरोपों के कारण उत्पन्न हुआ है.ह्व एक अन्य प्रश्न के उत्तर में जायसवाल ने कहा कि भारत की ओर से कनाडा के पास लगभग एक दशक से 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं. गौरतलब है कि सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद और गहरा गया है.

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी चरमपंथी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के पिछले साल सितंबर में आरोप लगाए थे. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज किया था. इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया.
निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

भारत का मानना है कि कनाडा हिंसा, आतंकवाद को गंभीरता से नहीं लेता: ट्रूडो
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार को कहा कि भारत का मानना ??है कि कनाडा हिंसा, आतंकवाद या घृणा भड़काने के अपराध को गंभीरता से नहीं लेता है. ट्रूडो ने संघीय चुनाव प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप के संदर्भ में सार्वजनिक जांच के दौरान गवाही देते हुए कहा कि कनाडा सरकार यह पता लगाने के लिए भारत से मदद मांग रही है कि क्या कथित हस्तक्षेप और हिंसा किसी शरारती तत्व द्वारा की गई थी या सरकार में किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति द्वारा निर्देशित थी.

ट्रूडो के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था कि कथित हस्तक्षेप किसी शरारती तत्व ने किया था या यह भारत सरकार के किसी जिम्मेदार सदस्य के निर्देश पर हुआ था. ट्रूडो ने कहा, ”मुझे लगता है कि यह बेहद अहम सवाल है और यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर पता लगाने के लिए हम भारत सरकार से सहायता करने के लिए बार-बार कह रहे हैं. हम इस सवाल की तह तक जाना चाहते हैं कि क्या यह सरकार के भीतर किसी संभावित शरारती तत्व का काम है या फिर यह भारत सरकार का अधिक व्यवस्थित प्रयास है….”

उन्होंने कहा, ”इसलिए हम शुरुआत से भारत सरकार से इन आरोपों को गंभीरता से लेने और जांच शुरू करने के लिए कह रहे हैं. हम चाहते हैं कि इसकी तह तक जाने के प्रयास में वे हमारे साथ काम करें जिससे यह पता लगाया जा सके कि कनाडा की संप्रभुता का यह घोर उल्लंघन वास्तव में कैसे हुआ.”

ट्रूडो ने कहा, ”मैं वास्तव में कहना चाहूंगा कि इसके दो लक्ष्य हो सकते हैं. पहला यह कि कनाडा के लोगों, खास तौर पर दक्षिण एशियाई कनाडा के लोगों को अपने ही देश में कम सुरक्षित महसूस कराना. दूसरा यह कि अपनी उस बात को सही साबित करने की कोशिश करना, जो भारत सरकार काफी समय से कनाडा के बारे में साबित करने का प्रयास कर रही है कि हमारा देश हिंसा या आतंकवाद या घृणा भड़काने के अपराध को गंभीरता से नहीं लेता, जो पूरी तरह से गलत है. भारत यह बताने में नाकाम रहा है कि कनाडा हिंसा को रोकने में कैसे कथित तौर पर विफल रहा है.”

उन्होंने कहा, ”ऐसा लगता है कि भारत सरकार के लोगों ने कनाडा में हिंसा फैलाने और गैरकानूनी गतिविधियां करने का निर्णय ले लिया है, ताकि वे यह दर्शा सकें कि कनाडा में हिंसा और गैरकानूनी गतिविधियां जारी हैं और मेरा मानना ??है कि एक संप्रभु लोकतंत्र के रूप में यह अत्यंत घृणित दृष्टिकोण है.” ट्रूडो ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कनाडा भारत को भड़काने या उसके साथ विवाद खड़ा करने की कोशिश नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा, ”भारत सरकार का यह सोचना उनकी बड़ी भूल है कि वे कनाडा की सुरक्षा और संप्रभुता में आक्रामकता से हस्तक्षेप कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने किया है. हमें कनाडा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जवाब देने की आवश्यकता है. हम आगे और क्या कदम उठाएंगे, यह समय आने पर तय होगा लेकिन हर कदम पर हमारी एकमात्र सर्वोच्च प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हम सभी कनाडाई लोगों को सुरक्षित रखें.” यह पूछे जाने पर कि क्या कनाडा भारत के साथ खुफिया जानकारी साझा करने को लेकर 2018 में हुए समझौते को निलंबित करेगा, इस पर ट्रूडो ने कहा, ”हम भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता में विश्वास करते हैं. हम उसका सम्मान करते हैं. हम निश्चित रूप से भारत से कनाडा की संप्रभुता का सम्मान करने की अपेक्षा करते हैं, जो इस मामले में उन्होंने नहीं किया है.”

उन्होंने कहा, ”यह भी अत्यंत महत्वपूर्ण है कि दुनिया के हर कोने से इस देश में आने वाले लोग यह समझें कि कनाडा में रहते हुए वे अपनी पसंद की राजनीतिक मान्यताएं रखने के लिए स्वतंत्र हैं.” एक सवाल के जवाब में कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी हस्तक्षेप के संभावित स्रोत के रूप में भारत सरकार का मुद्दा केवल पिछले सप्ताहों या पिछले वर्ष में ही सामने नहीं आया है.

उन्होंने कहा, ”कनाडा की खुफिया एजेंसियां ??पिछले कई साल से यह जानकारी जुटा रही हैं. हम लगातार दूसरे देशों के बदलते तरीकों के अनुसार खुद को ढाल रहे हैं और समायोजित कर रहे हैं क्योंकि वे कनाडा में अपने उद्देश्यों को आगे बढ.ाने के लिए अलग-अलग तकनीकों, अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और हम कनाडा के लोगों को सुरक्षित रखने, अपने संस्थानों और लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए आवश्यकतानुसार कदम उठाना जारी रखेंगे.”

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