बेंगलुरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के ‘एस्ट्रोसैट’ और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अंतरिक्ष वेधशालाओं ने एक विशाल ‘ब्लैक होल’ के आसपास एक तारे के मलबे से ‘एक्स’ किरणों के निकलने का पता लगाया है.
एक विशाल ब्लैक होल ने एक तारे को टुकड़ों में बिखेर दिया और अब उन तारकीय मलबों को अन्य तारे या छोटे ब्लैक होल पर बरसा रहा है. यह खोज नासा के अंतरिक्ष वेधशालाओं – चंद्र, एचएसटी, एनआईसीईआर, स्विफ्ट और इसरो के एस्ट्रोसैट का उपयोग कर की गई.
इसरो ने यहां एक बयान में कहा, ”इससे खगोलविदों को महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी तथा दो रहस्यों को जोड़ा जा सकेगा, जिनके बारे में पहले केवल संकेत ही मिले थे.” वर्ष 2019 में, यह देखा गया था कि खगोलविदों ने एक ऐसे तारे का संकेत पाया जो ब्लैक होल के बहुत करीब पहुंच गया और ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण बल से नष्ट हो गया. टुकड़ों में बिखर जाने के बाद, तारे के अवशेष एक प्रकार के तारकीय समूह में एक डिस्क में ब्लैक होल के चारों ओर चक्कर लगाने लगे.
इसरो के अनुसार, हालांकि, कुछ वर्षों में यह डिस्क बाहर की ओर फैल गई है और अब यह सीधे एक तारे या संभवत? एक तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल के रास्ते में है, जो विशाल ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहा है. बयान के अनुसार, परिक्रमा कर रहा तारा लगभग हर 48 घंटे में एक बार, मलबे की डिस्क से टकरा रहा है और जब ऐसा होता है, तो टक्कर के कारण एक्स किरणें निकलती हैं जो चंद्र दूरबीन से देखी गईं.
इसरो के बयान में, ‘नेचर’ पत्रिका के वर्तमान अंक में प्रकाशित अध्ययन के मुख्य लेखक एवं ब्रिटेन स्थित क्वीन्स यूनिर्विसटी बेलफास्ट के मैट निकोल के हवाले से कहा गया है, ”कल्पना कीजिए कि एक गोताखोर बार-बार स्वीमिंग पूल में जा रही है और हर बार उसके पानी में प्रवेश करने पर छपाक की आवाज आ रही है.
इसरो के अनुसार, वैज्ञानिकों ने कई ऐसे मामलों का दस्तावेजीकरण किया है, जहां कोई वस्तु ब्लैक होल के बहुत करीब पहुंच जाती है और प्रकाश के एक ही विस्फोट में टूट जाती है. अध्ययन के सह लेखक एवं पुणे स्थित इंटर-यूनिर्विसटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के गुलाब देवांगन ने बताया कि एस्ट्रोसैट मिशन ऐसी घटनाओं का अध्ययन करने के लिए अद्वितीय यूवी/एक्स-रे क्षमता प्रदान करता है.