श्रीनगर में आतंकवाद रोधी अभियान में अपरंपरागत तरीकों ने निभाई अहम भूमिका

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर में एक सफल आतंकवाद रोधी अभियान में सुरक्षाबलों ने एक शीर्ष आतंकी कमांडर को ढेर कर दिया. उसे ठिकाने लगाने में रणनीतिक योजना के साथ ही अपरंपरागत तरीकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही. वरिष्ठ अधिकारियों ने पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर उस्मान के खिलाफ अभियान के दौरान आने वाली चुनौतियों को कम करने वाले अनूठे तरीकों के महत्व पर प्रकाश डाला.

उस्मान शनिवार को श्रीनगर के घनी आबादी वाले खानयार इलाके में दिन भर चली मुठभेड़ में मारा गया. यह दो साल से अधिक समय में जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी में पहली महत्वपूर्ण मुठभेड़ थी. स्थानीय पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संयुक्त प्रयासों से यह आतंकवाद रोधी अभियान सफल रहा. अधिकारियों ने बताया कि घाटी के इलाके से अच्छी तरह से वाकिफ उस्मान 2000 के दशक की शुरुआत में अपनी प्रारंभिक आतंकी गतिविधियों के बाद से ही कई हमलों को अंजाम देने के लिए कुख्यात था.

पाकिस्तान में कुछ समय बिताने के बाद उसने 2016-17 के आसपास वापस इस क्षेत्र में घुसपैठ की. वह पिछले साल पुलिस उपनिरीक्षक मसरूर वानी की हत्या की घटना में भी शामिल था.  वानी को क्रिकेट खेलते समय गोली मार दी गई थी. जब खुफिया जानकारी में आवासीय क्षेत्र में उस्मान की मौजूदगी का संकेत मिला, तो बिना किसी जनहानि के अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक नौ घंटे की योजना बनाई गई.

सुरक्षाबलों के लक्ष्य के करीब पहुंचने पर आतंकी सतर्क न हो, इसके लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाते हुए सुरक्षाबलों की पूरी तैनाती फज्र (भोर की नमाज) से पहले कर दी गई और 30 घरों के ईद-गिर्द घेरा डाल दिया गया. अभियान के दौरान स्थानीय लोगों को भी क्षेत्र से सुरक्षित निकाला गया. इस दौरान एके-47, एक पिस्तौल और कई ग्रेनेड से लैस उस्मान ने सुरक्षाबलों पर भीषण गोलीबारी शुरू कर दी. इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की.

मुठभेड़ के दौरान कुछ ग्रेनेड फटने से एक मकान में आग लग गई, जिस पर सुरक्षाबलों ने तुरंत काबू पा लिया, ताकि यह आसपास के मकानों में न फैले. कई घंटे तक चली भीषण मुठभेड़ में उस्मान को ढेर कर दिया गया. मुठभेड़ में चार सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, जिनकी हालत स्थिर बताई जाती है. इस अभियान के साथ सुरक्षाबलों को विशेष रूप से लश्कर-ए-तैयबा की शाखा ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ के खिलाफ एक बड़ी सफलता मिली है, जो गैर-स्थानीय मजदूरों और सुरक्षार्किमयों पर हमले करने में शामिल रहा है.

उस्मान ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ के पाकिस्तान में मौजूद कमांडर सज्जाद गुल का दाहिना हाथ भी था. दो साल से अधिक समय में श्रीनगर में यह पहली मुठभेड़ थी. पिछली मुठभेड़ सितंबर 2022 में नौगाम में हुई थी, जिसमें अंसार गजवत-उल-हिंद के दो स्थानीय आतंकवादी मारे गए थे.

अभियान की सफलता इस बात को रेखांकित करती है कि अधिकारी अपने अभियान की सफलता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए अनूठे एवं अपरंपरागत समाधान खोजने सहित किस भी हद तक जा सकते हैं. यह मुठभेड़ न केवल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद रोधी प्रयासों में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, बल्कि क्षेत्र में शांति बनाए रखने में सुरक्षाबलों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डालती है.

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