नयी दिल्ली. भारत में निवास के परमिट की अवधि बढ़ाने को मंजूरी देने के लिये गृहमंत्री अमित शाह के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बांग्लादेशी लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तसलीमा नसरीन ने कहा कि ”सोमवार को सुबह मैंने टवीट किया और शाम को मुझे परमिट मिल गया.” परमिट की अवधि बढ़ाये जाने से राहत महसूस कर रही तसलीमा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि वह पिछले तीन महीने से इसे लेकर काफी परेशान थीं.
उन्होंने कहा, ”लेकिन एक ट्वीट ने मेरी मदद की और अमित शाह जी ने उसी दिन मुझे परमिट दिला दिया. मैं उन्हें ‘एक्स’ पर धन्यवाद भी दे चुकी हूं. सोमवार को सुबह मैंने टवीट किया और शाम को मुझे परमिट मिल गया.” बांग्लादेश से 1994 में निष्कासित होने के बाद 2005 से (2008 से 2010 को छोड़कर) भारत में रह रही तसलीमा का भारत में निवास का परमिट जुलाई में खत्म हो गया था. उन्होंने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री को इस संदर्भ में ट्वीट किया था. भारत सरकार ने सोमवार को उनकी अपील के बाद उनका ‘रेसिडेंस परमिट’ बढ़ाये जाने की जानकारी उन्हें दी .
तसलीमा ने कहा, ”तीन महीने हो गए थे मेरा वीजा एक्सपायर हुए. मैं चिंतित थी कि इसमें देर हो गई. मुझे लगा कि सरकार मेरा वीजा आगे बढाना नहीं चाहती है. मैं सोच रही थी कि अब मैं कहां जाऊंगी और कहां रहूंगी .” उन्होंने कहा,” मेरे पास आखिरी विकल्प था कि गृहमंत्री को सीधे ट्वीट करके पूछूं कि क्या मुझे आगे रहने की अनुमति नहीं दी जायेगी .” उन्होंने बताया कि 2004 से 2008 तक उनका वीजा छह महीने के लिये बढ़ता था, लेकिन उसके बाद से एक साल के लिये बढ़ाया जाता रहा है.
कट्टरपंथियों के खिलाफ अपने लेखन के लिये सुर्खियों में रहने वाली 62 वर्षीय लेखिका ने कहा कि हमेशा उनका ‘रेसिडेंस परमिट’ (प्रक्रिया के तहत) अपने आप बढ़ जाता है, लेकिन पहली बार तीन माह लग गए. उन्होंने कहा, ”मैने गृह मंत्रालय में कई अधिकारियों से बात की. किसी ने ईमेल करने को बोला. मैंने दो महीने पहले ईमेल भेज दिया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला था. मैने मीडिया में भी अपने कई दोस्तों से पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया.”
‘लज्जा ‘ फेम लेखिका ने कहा ,” इस्लामी कट्टरपंथी और वामपंथी हमेशा से मुझ पर भाजपा समर्थक होने का आरोप लगाते आये हैं, लेकिन असल में तो मैं सरकार में किसी को जानती नहीं हूं. मैं खुद को बहुत असहाय और कमजोर महसूस कर रही थी और किसी का सहारा नहीं था.” तसलीमा ने फेसबुक द्वारा उनका खाता ‘मेमोरियलाइज’ (मरने के बाद जो किया जाता है) किये जाने और बार-बार प्रयासों के बावजूद उसे बहाल नहीं किये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.
उन्होंने कहा ,” फेसबुक ने मेरा अकाउंट मेमोरियलाइज कर दिया है . कुछ जिहादियों ने मेरा फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा दिया. वह पहले भी ऐसा कर चुके हैं. उन्होंने प्रमाणपत्र फेसबुक को भेजा जिसने मेरा अकाउंट मेमोरियलाइज कर दिया. यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है और सही नहीं है . ” उन्होंने कहा, ”मैं फेसबुक को सोमवार से लगातार मैसेज कर रही हूं कि मैं जिंदा हूं, लेकिन कोई जवाब नहीं आ रहा. उनसे अपना अकाउंट वापस मांग रही हूं, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिल रहा है. फेसबुक और जिहादी मेरी फर्जी मौत का जश्न मना रहे हैं.”