रूस में ‘ब्रिक्स’ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद स्वदेश रवाना हुए प्रधानमंत्री मोदी

कजान. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को रूस का अपना दो दिवसीय ‘प्रभावशाली’ दौरा पूरा करने के बाद स्वदेश के लिए रवाना हो गए. प्रधानमंत्री मोदी ने दौरे के दौरान 16वें ‘ब्रिक्स’ शिखर सम्मेलन में भाग लिया और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं.

विदेश मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ह्लप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कजान का अपना प्रभावशाली दौरा पूरा कर नयी दिल्ली के लिए रवाना हुए.ह्व मोदी ‘ब्रिक्स’ शिखर सम्मेलन के लिए मंगलवार को कजान पहुंचे था, जहां तातारस्तान गणराज्य के प्रमुख रुस्तम मिन्निखानोव ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था. प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत युद्ध का नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है. प्रधानमंत्री मोदी ने रूस-यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से समाधान करने का आह्वान किया. मोदी ने युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर भी चिंता जताई.

उन्होंने कहा कि ‘ब्रिक्स’ विश्व को सही रास्ते पर ले जाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है. प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने के लिए मिलकर काम करने और सभी से ‘दृढ़ समर्थन’ की जोरदार वकालत की. उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए ‘दोहरे मानकों’ की कोई जगह नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को कट्टर बनने से रोकने के लिए ‘सक्रिय कदम’ उठाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया. शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी सहित ‘ब्रिक्स’ देशों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया.

शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी ने राष्ट्रपति शी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, जो पिछले पांच वर्षों में उनकी पहली मुलाकात रही.
मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता के दौरान सीमा संबंधी मसलों पर मतभेदों का असर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति व स्थिरता पर नहीं पड़ने देने की आवश्यकता को रेखांकित किया.

दोनों नेताओं ने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों को सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें भी कीं.

ब्रिक्स देश स्थानीय मुद्रा में व्यापार, वित्तीय निपटान के लिए सहमत

ब्रिक्स देशों ने बुधवार को स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और वित्तीय निपटान की मजबूत व्यवस्था बनाने पर सहमति जतायी. साथ ही स्वतंत्र रूप से काम करने वाला सीमापार निपटान और डिपॉजिटरी बुनियादी ढांचे की व्यावहारिकता का अध्ययन करने और ब्रिक्स पुनर्बीमा कंपनी पर भी सहमति व्यक्त की.

सदस्य देशों के नेताओं ने 21वीं सदी में नव विकास बैंक को एक नये प्रकार के बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) के रूप में विकसित करने पर भी सहमति जतायी और ब्रिक्स के नेतृत्व वाले बैंक की सदस्यता को बढ़ाने का समर्थन किया. यहां 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद जारी घोषणापत्र में नेताओं ने ब्रिक्स के भीतर वित्तीय सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी.

घोषणापत्र में कहा गया है, ”हम व्यापार बाधाओं को कम करने और गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच के सिद्धांत पर तैयार तेज, कम लागत वाले, कुशल, पारदर्शी, सुरक्षित और समावेशी सीमापार भुगतान उत्पादों के व्यापक लाभ को समझते हैं.” इसमें कहा गया है, ”हम ब्रिक्स देशों और उनके व्यापारिक भागीदारों के बीच वित्तीय लेनदेन में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग का स्वागत करते हैं.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए यहां आए हुए हैं.

ब्रिक्स नेताओं ने समूह के भीतर ‘कॉरेसपॉन्डेंट बैंकिंग नेटवर्क’ को मजबूत करने और ब्रिक्स सीमापार भुगतान पहल (बीसीबीपीआई) के अनुरूप स्थानीय मुद्राओं में निपटान को सक्षम बनाने की बात कही, जो स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी है. ‘कॉरेसपॉन्डेंट बैंक’ वित्तीय संस्थान हैं जो विभिन्न देशों में बैंकों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं और एक दूसरे को बैंक सेवाएं प्रदान करते हैं. ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. इसके अलावा, अब पांच अतिरिक्त सदस्यों… मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को इसमें शामिल किया गया है. नेताओं ने ब्रिक्स देशों के वित्तीय बाजारों के बुनियादी ढांचे को जोड़ने की व्यावहारिकता का पता लगाने के महत्व को भी स्वीकार किया.

घोषणापत्र में कहा गया है, ”हम एक स्वतंत्र सीमापार निपटान और डिपॉजिटरी बुनियादी ढांचे, ब्रिक्स क्लियर की स्थापना की व्यावहारिकता पर चर्चा और अध्ययन करने के लिए सहमत हैं. यह मौजूदा वित्तीय बाजार से संबंधित बुनियादी ढांचे का पूरक होगा.” साथ ही सदस्य देश स्वैच्छिक आधार पर भागीदारी के साथ ब्रिक्स (पुनर्बीमा) कंपनी समेत ब्रिक्स स्वतंत्र पुनर्बीमा क्षमता विकसित करने पर सहमत हुए हैं.

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