भोपाल. मध्यप्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक महिला अधिकारी द्वारा मंदिरों में लगे लाउडस्पीकरों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर सवाल उठाये जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया और एक हिंदू संगठन ने अधिकारी से माफी की मांग की. अतिरिक्त सचिव के पद पर तैनात आईएएस अधिकारी शैलबाला मार्टिन के ट्वीट के बाद विवाद शुरू हुआ था.
मार्टिन ने ‘एक्स’ पर मस्जिदों के बाहर बजने वाले डीजे संगीत और ध्वनि प्रदूषण के बारे में एक पोस्ट को संलग्न करते हुए कहा था, ” मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर कई- कई गलियों तक ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं. आधी-आधी रात तक बजने वाले इन लाउडस्पीकर से किसी को दिक्कत नहीं होती?” मार्टिन की इस पोस्ट पर एक धार्मिक समूह ने नाराजगी जताई. भोपाल के संस्कृति बचाओ मंच ने मार्टिन को ऐसी टिप्पणियों से बचने की सलाह दी, जिससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचने की आशंका हो.
संगठन के प्रमुख चंद्रशेखर तिवारी ने कहा, “उन्हें (आईएएस अधिकारी) इस तरह के विवाद में नहीं पड़ना चाहिए. संस्कृति बचाओ मंच उनकी टिप्पणियों का विरोध करता है.” तिवारी ने कहा कि मंदिरों में मधुर आवाज में मंत्रोच्चार व आरती की जाती है और ‘हम चिल्लाते नहीं हैं’. तिवारी ने आईएएस अधिकारी को हिंदुओं से माफी मांगने को कहा.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव को नौकरशाह की टिप्पणी के पीछे की मंशा पर गौर करना चाहिए. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने मार्टिन की पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पिछले साल दिसंबर में शपथ लेने के तुरंत बाद यादव ने ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के बारे में एक आदेश जारी किया था. उन्होंने कहा, “शैलबाला मार्टिन सरकार की एक अधिकारी हैं. मुख्यमंत्री को उनकी राय पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए.” सत्तारूढ. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.