न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी अभिनेता सिद्दीकी की गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि दो हफ्ते के लिए बढ़ाई

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कथित दुष्कर्म मामले में मलयालम अभिनेता सिद्दीकी को मिली गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण की अवधि दो हफ्ते के लिए बढ़ा दी. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सिद्दीकी को केरल पुलिस द्वारा दायर उस स्थिति रिपोर्ट पर अपना जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी जिसमें उनकी ओर से जांच में पर्याप्त सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया है.

सिद्दीकी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी गिरी ने स्थिति रिपोर्ट पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, लेकिन दावा किया कि उनके मुवक्किल पुलिस जांच में सहयोग कर रहे हैं. केरल पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि सिद्दीकी जांच में बाधा डाल रहे थे और उन्होंने कई सोशल मीडिया अकाउंट हटाने के अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नष्ट कर दिया.
पीठ ने इस बात को रेखांकित किया कि पीड़िता ने घटना के आठ साल बाद शिकायत दर्ज कराई थी. कुमार ने कहा कि पीड़िता केवल सोशल मीडिया पर घटना को फिर से बयां कर रही थी और उसने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हेमा समिति की उस रिपोर्ट के बाद यह साहस दिखाया जिसमें मलयालम फिल्म उद्योग में व्याप्त स्थिति पर प्रकाश डाला गया है.

कुमार ने कहा, ”मेरी आशंका दोतरफा है. पहला, वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. जब वह आते हैं, तो एक तैयार बयान के साथ आते हैं कि वह और कोई जवाब नहीं देते और उन्हें कुछ याद नहीं होता है. दूसरा, प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उन्होंने अपना फेसबुक अकाउंट बंद कर दिया है, वह नहीं चाहते हैं कि हमारी उस तक पहुंच हो.” पीड़िता की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि वह 2018 से अपने फेसबुक अकाउंट पर बार-बार इस मुद्दे को उठा रही हैं लेकिन ”फिल्म उद्योग जगत के सुपरस्टार के खिलाफ जाना मुश्किल था.” पीठ ने सिद्दीकी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और कहा कि मामले की सुनवाई दिवाली की छुट्टियों के बाद की जाएगी.

केरल पुलिस के नारकोटिक्स प्रकोष्ठ के एसीपी अजीचंद्रन नायर द्वारा दायर की गई स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले में गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण से सिद्दीकी को प्रोत्साहन मिला है, लेकिन इसने न केवल पीड़िता बल्कि फिल्म उद्योग के अन्य लोगों को भी हतोत्साहित करने और डराने का काम किया है. सिद्दीकी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. सिद्दीकी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि शिकायतकर्ता महिला ने उनके खिलाफ वर्ष 2019 से उत्पीड़न और झूठे आरोपों का लंबा अभियान चलाया.

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