बहराइच हिंसा: अब तक 104 लोग गिरफ्तार, ध्वस्तीकरण नोटिस पाने वालों को अदालत से राहत की उम्मीद

बहराइच. बहराइच जिले के महाराजगंज कस्बे में सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में अब तक 104 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और वहीं ध्वस्तीकरण का नोटिस पाने वाले लोगों ने 15 दिन की राहत के लिए सोमवार को उच्च न्यायालय का धन्यवाद किया तथा न्यायालय से राहत की उम्मीद जताई.

दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन जुलूस के दौरान गोली लगने से एक युवक की मौत और फिर हुई हिंसा की घटना के बाद बहराइच के कुंडासर-महसी-नानपारा-महाराजगंज मार्ग पर कथित अवैध निर्माण को लेकर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने 23 प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं, जिनमें से 20 मुस्लिमों के हैं. ये नोटिस रोड साइड भूमि नियंत्रण अधिनियम, 1964 के तहत जारी किए गए हैं.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने रविवार को इन लोगों को बड़ी राहत देते हुए जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय बढ़ा दिया और राज्य के अधिकारियों को उनके जवाबों पर विचार करने और तर्कसंगत आदेश पारित करने का निर्देश दिया. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 23 अक्टूबर तय की है.

जिनके घरों को नोटिस जारी किए गए, उनमें से एक मुस्लिम महिला ने कहा, ”अब हमें तसल्ली है. हमें भूखे रहने की चिंता नहीं है. अब हमारी उम्मीदें अदालत के आदेश पर टिकी हैं और हमें उम्मीद है कि हमें राहत मिलेगी.” एक हिंदू महिला ने कहा, ”हम बस यही चाहते हैं कि हमारे घरों को टूटने से बचाया जाए. हम गरीब हैं और इस घर के बिना हमारे सिर पर छत नहीं रहेगी.” राम प्रसाद के बेटे ननकऊ के घर की बाहरी दीवार पर अभी भी पीडब्ल्यूडी का नोटिस चस्पा है.

महिला ने संवाददाताओं से कहा, ”कल तक मैं बहुत चिंतित थी. मैं खाना नहीं बना पा रही थी, यह सोचकर कि अगर हमारा घर और दुकान चली गई तो हम क्या करेंगे, हम कैसे रहेंगे.” एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, ”मेरे पास संपत्ति के कागजात हैं. मेरे पिता यहां रहते थे, अब मैं भी अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी जी चुका हूं. मैं कागजात अदालत में पेश करूंगा और उम्मीद करता हूं कि अदालत हमारे साथ न्याय करेगी.”

महाराजगंज में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन जुलूस के दौरान तेज आवाज में संगीत बजाने को लेकर हुए विवाद में 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की गोली लगने से मौत हो गई थी. इस घटना के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. आगजनी और तोड़फोड़ की घटना के बाद इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया और चार दिन के लिए इंटरनेट बंद रहा. हालांकि, सोमवार को भी महाराजगंज का बाजार पूरी तरह नहीं खुला. अलग-अलग गलियों और सड़कों पर कुछ किराना और बर्तन की दुकानें, पान भंडार, जलपान गृह, फल विक्रेता और सरकारी बैंक की शाखाएं खुली दिखीं, लेकिन उनमें ग्राहकों की आवाजाही न के बराबर रही.

पुलिस के अनुसार महराजगंज हिंसा में कथित तौर पर शामिल हिन्दू पक्ष के 17 लोग रविवार को गिरफ्तार किए गये, इनके अलावा नौ अन्य का चालान कर उन्हें पाबंद किया गया है. रविवार की 17 गिरफ्तारियों को मिलाकर अभी तक दर्ज 11 मुकदमों में दोनों पक्षों के कुल 104 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.

पुलिस के अनुसार, इसके अलावा फखरपुर थाने के बिज्जापुरवा निवासी सरफुद्दीन नामक व्यक्ति को रविवार को सोशल मीडिया पर एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में 11 प्राथमिकी दर्ज कीं और सैकड़ों संदिग्ध अज्ञात दंगाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने मिश्रा की हत्या के सिलसिले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था. अधिकारियों ने बताया कि मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद समेत पांच लोगों को मुठभेड़ के बाद उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वे कथित तौर पर नेपाल भागने की कोशिश कर रहे थे. राम गोपाल के घर पर पुलिस की कड़ी निगरानी है और गांव की ओर जाने वाले रास्तों पर अवरोध लगा दिए गए हैं. लोगों को पूछताछ के बाद ही गांव में जाने दिया जा रहा है.

अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद ने सोमवार को सिटी मजिस्ट्रेट को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन सौंपा. परिषद के जिला अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी ने बताया कि मुख्यमंत्री को भेजे गए आठ सूत्री ज्ञापन में मिश्रा की मौत के बाद ब्राह्मणों पर पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने की शिकायत की गयी है.

उधर, सोमवार को राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में लोगों ने जिलाधिकारी के कार्यालय पहुंचकर राज्यपाल के नाम सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपकर पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच की मांग की. काउंसिल के जिला अध्यक्ष सरवर कासमी ने संवाददाताओं से कहा कि मूर्ति विसर्जन के दौरान काफी देर तक हंगामा होने के बावजूद प्रशासन इस पर काबू नहीं पा सका.

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