चीन, पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख दोहराया; सभी लंबित मुद्दे के समाधान की आवश्यकता बताई

बीजिंग/इस्लामाबाद. अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने का परोक्ष संदर्भ देते हुए चीन और पाकिस्तान ने एकतरफा कार्रवाई के प्रति अपना विरोध दोहराया तथा क्षेत्र में सभी लंबित मुद्दों के समाधान की आवश्यकता बताई. चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग की इस्लामाबाद यात्रा के संबंध में जारी चीन-पाकिस्तान संयुक्त वक्तव्य में कश्मीर मुद्दे पर उनकी घोषित स्थिति का उल्लेख किया गया तथा कहा गया कि इसे प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार हल किया जाना चाहिए.

चीन के प्रधानमंत्री ली बुधवार को संपन्न हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद में थे. वह चीनी नागरिकों पर आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाओं के बीच पाकिस्तान के नागरिक और सैन्य नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता और बैठकें करने के लिए इस्लामाबाद जल्द पहुंच गए थे.

ली ने चीन द्वारा निर्मित ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का भी उद्घाटन किया. ग्यारह वर्षों में किसी चीनी प्रधानमंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा है. उनकी यह यात्रा 60 अरब अमेरिकी डॉलर की सीपीईसी(चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के तहत कई परियोजनाओं में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर बलूच चरमपंथियों द्वारा बार-बार किए जा रहे हमलों को लेकर बीजिंग में बढ़ती चिंताओं के बीच हुई.

चीन-पाकिस्तान संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है: ”दोनों पक्षों ने दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और सभी लंबित विवादों के समाधान की आवश्यकता तथा किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करने की बात दोहराई.” पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में स्थिति के नवीनतम घटनाक्रम के बारे में चीनी पक्ष को जानकारी दिए जाने के दौरान, चीनी पक्ष ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर विवाद ”काफी पुराना है, और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार उचित व शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए.ह्व हालांकि, संयुक्त वक्तव्य में, अगस्त 2019 में भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का कोई प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं किया गया. लेकिन पाकिस्तान ने उस कदम का विरोध किया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया. वहीं, चीन ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता कमजोर हुई है.
ली की पाकिस्तान यात्रा, बीएलए (बलूच लिबरेशन आर्मी) के सदस्यों द्वारा चीनी काफिले पर किए गए आत्मघाती हमले के तत्काल बाद हुई है, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और एक अन्य घायल हो गया था.

बीजिंग में, यात्रा पर टिप्पणी करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि पाकिस्तान में बार-बार हो रहे आतंकवादी हमले और मौजूदा राजनीतिक अराजकता द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ”चीन और पाकिस्तान रणनीतिक साझेदार हैं और उनके बीच अटूट दोस्ती है … प्रधानमंत्री ली कियांग ने पाकिस्तान सरकार, संसद और सैन्य नेतृत्व के साथ व्यापक और गहन बातचीत की, जिसके ‘सकारात्मक परिणाम’ सामने आए.” उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती समय के साथ और भी मजबूत होती गई है.

प्रवक्ता ने कहा, ”चीन ने दोहराया कि वह चीन-पाकिस्तान संबंधों को चीन की कूटनीति में प्राथमिकता देगा, जो संयुक्त वक्तव्य का भी हिस्सा है.” माओ ने कहा कि इस्लामाबाद ने इस बात पर जोर दिया कि चीन के साथ संबंध पाकिस्तान की विदेश नीति की आधारशिला हैं और चीन के साथ दोस्ती पाकिस्तानी समाज के सभी क्षेत्रों में उच्च स्तर की आम सहमति है.

उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के मूल हितों का दृढ़ता से समर्थन करने, उच्च स्तरीय आदान-प्रदान को मजबूत करने, एक-दूसरे के आधुनिकीकरण करने के मार्ग पर मिलकर काम करने” पर सहमत हुए. यह पूछे जाने पर कि क्या चीन, सीपीईसी परियोजनाओं में काम कर रहे सैकड़ों चीनी र्किमयों को सुरक्षा प्रदान करेगा, माओ ने कहा, ”ली की यात्रा के दौरान, पाकिस्तान ने सुरक्षा निवेश को बढ़ाने, सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और पाकिस्तान में चीनी र्किमयों, परियोजनाओं और संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा किया.”

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