आरजी कर मामला : कनिष्ठ चिकित्सकों का अनशन 10वें दिन भी जारी, दो और चिकित्सकों की हालत बिगड़ी

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में विभिन्न मांगों को लेकर कनिष्ठ चिकित्सकों द्वारा की जा रही अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल सोमवार को 10वें दिन में प्रवेश कर गई. चिकित्सकों और राज्य सरकार के बीच बैठक बेनतीजा रहने के बाद इस गतिरोध का समाधान नजर नहीं आ रहा है.

वहीं, ‘आमरण अनशन’ में शामिल दो और चिकित्सकों की तबीयत खराब होने के बाद आर.जी. कर अस्पताल में महिला चिकित्सक से  बलात्कार और हत्या को लेकर जारी गतिरोध और बढ. गया है. स्वास्थ्य भवन में 12 चिकित्सा संघों के प्रतिनिधियों और मुख्य सचिव मनोज पंत के बीच महत्वपूर्ण बैठक बिना किसी समाधान के समाप्त हो गई. चिकित्सकों को उम्मीद थी कि राज्य सरकार उनकी मांगों को पूरा करने के लिए स्पष्ट समयसीमा तय करेगी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक प्रशासन किसी भी समयसीमा पर प्रतिबद्ध होने को लेकर अनिच्छुक था.

चिकित्सकों की भूख हड़ताल पांच अक्टूबर को शुरू हुई थी. इससे पहले नौ अगस्त को राज्य सरकार द्वारा संचालित आर.जी. कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद कनिष्ठ चिकित्सकों ने दो चरणों में लगभग 50 दिनों तक ‘काम बंद’ रखा था. सोमवार तक सात कनिष्ठ चिकित्सक अनशन पर हैं, जिनमें से कुछ को तत्काल इलाज की जरूरत है. अधिकारियों ने बताया कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पुलस्थ आचार्य को पेट में तेज दर्द के बाद रविवार रात अस्पताल में भर्ती कराया गया.

एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”पुलस्थ क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में भर्ती हैं और उनकी हालत बिगड़ गयी है. हमने उनका इलाज करने के लिए एक चिकित्सा बोर्ड का गठन किया है.” कोलकाता मेडिकल कॉलेज की एक और कनिष्ठ चिकित्सक तान्या पंजा की भी दोपहर को तबीयत बिगड़ गयी. एक प्रदर्शनरत चिकित्सक ने कहा, ”उनकी (तान्या की) हालत ठीक नहीं है और वह अभी प्रदर्शन स्थल पर निगरानी में हैं. हमने अभी यह तय नहीं किया है कि क्या उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है.”

पांजा उन कनिष्ठ चिकित्सकों में से एक हैं जिनकी अनशन शुरू होने के बाद से तबीयत खराब हुई है, तीन अन्य को पहले ही कोलकाता और सिलीगुड़ी के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. इससे पहले, कोलकाता और सिलीगुड़ी शहर में अनशन कर रहे तीन कनिष्ठ चिकित्सकों को उनकी हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है.

अभी अनशन कर रहे चिकित्सकों की कुल संख्या सात है जिसमें नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग का एक कनिष्ठ चिकित्सक भी शामिल है जो आज दोपहर को हड़ताल में शामिल हुआ. चिकित्सकों के 12 संघों के प्रतिनिधियों की सोमवार को मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ हुई अहम बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई, क्योंकि चिकित्सकों को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए एक स्पष्ट समयसीमा की उम्मीद थी, लेकिन सरकार कथित तौर पर किसी भी समयसीमा पर प्रतिबद्ध होने के लिए अनिच्छुक थी.

पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ कौशिक चाकी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”बैठक बेनतीजा रही. हमने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वह किसी अधिकारी को अनशन पर बैठे युवा चिकित्सकों से बातचीत के लिए भेजे और उच्चतम दर्जे वाले अधिकारी को तरजीह दी जाए. हालांकि, मुख्य सचिव ने संकेत दिया कि वह कोई समयसीमा नहीं बता सकते.” बैठक के बाद पंत ने कहा, ”हमने विस्तार से बातचीत की जो लगभग ढाई घंटे तक चली. अनेक चिंताएं व्यक्त की गईं और हमने उनका संज्ञान लिया. कनिष्ठ चिकित्सकों की मांगों के संबंध में हमने विस्तार से चर्चा की. 10 मांगों में से सात को पूरा किया जा चुका है.”

उन्होंने कहा, ”बाकी तीन मांगों के लिए, वे विशिष्ट समयसीमा का अनुरोध कर रहे थे. ये प्रशासनिक निर्णय हैं जिन पर राज्य को विचार करने की आवश्यकता है, इसलिए हम इस समय कोई समयसीमा नहीं दे सकते. हमने उन्हें आश्वासन दिया कि हमने उनके मुद्दों और शिकायतों पर ध्यान दिया है. हमने उनसे आग्रह किया कि वे चिकित्सकों को उनकी भूख हड़ताल वापस लेने के लिए राजी करें, क्योंकि हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं.” स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम को हटाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर पंत ने कहा कि यह राज्य सरकार को तय करना है कि क्या कार्रवाई की जाए.

पंत ने ‘ज्वाइंट प्लेटफॉर्म ऑफ डॉक्टर्स’ (जेपीडी) को राज्य स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय में आगे की चर्चा के लिए आमंत्रित किया तथा उनसे 15 अक्टूबर को प्रस्तावित ‘ड्रोहर कार्निवल’ प्रदर्शन को रद्द करने का आग्रह किया. जेपीडी ने कनिष्ठ चिकित्सकों के प्रति एकजुटता प्रकट करने के लिए प्रदर्शन की घोषणा की थी, लेकिन सरकार ने चिंता व्यक्त की कि यह प्रदर्शन राज्य के वार्षिक ‘दुर्गा पूजा कार्निवल’ के साथ मेल खाएगा. कनिष्ठ चिकित्सक आरजी कर अस्पताल में बलात्कार एवं हत्या मामले में मृतक चिकित्सक के लिए न्याय, स्वास्थ्य सचिव निगम को तत्काल हटाने, कार्यस्थल पर सुरक्षा और अन्य उपायों की मांग कर रहे हैं.

उनकी अन्य मांगों में राज्य के सभी अस्पतालों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली की स्थापना करने, बिस्तर रिक्ति निगरानी प्रणाली का कार्यान्वयन और कार्यस्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने, ‘ऑन-कॉल रूम’ आदि के लिए आवश्यक प्रावधान सुनिश्चित करने के वास्ते कार्यबल के गठन की मांग शामिल है. महिला चिकित्सक की कथित बलात्कार-हत्या मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा त्वरित और पारदर्शी जांच कराने की मांग करते हुए आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों ने सोमवार शाम राजभवन तक रैली निकाली और राज्यपाल कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा.

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने सोमवार को प्रदर्शनकारी चिकित्सकों की आलोचना करते हुए कहा कि उनमें वास्तविक अनशन करने का संकल्प नहीं है. उन्होंने चिकित्सकों पर आरोप लगाया कि वे अपने आमरण अनशन को ”अस्पताल में भर्ती होने के अनशन” में बदल रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों का मुख्य लक्ष्य मीडिया का ध्यान आर्किषत करना और प्रदर्शन शुरू करने के एक या दो दिन के भीतर अस्पताल में भर्ती होना है.

उन्होंने सवाल किया, ”यह किस तरह का अनशन है? यह प्रदर्शन स्थल से शुरू होता है और अस्पताल में भर्ती होने के बाद समाप्त होता है. हम जानते हैं कि भूख हड़ताल आमरण अनशन है, अस्पताल में भर्ती होने का अनशन नहीं. ये चिकित्सक जो कर रहे हैं, वह अस्पताल में भर्ती होने का अनशन है.” कल्याण बनर्जी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदर्शनकारी चिकित्सक देबाशीष हलधर ने कहा, ”ऐसा लगता है कि वह चाहते हैं कि भूख हड़ताल पर बैठे चिकित्सक विरोध प्रदर्शन करते-करते मर जाएं.”

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने लोगों से तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा आयोजित ‘दुर्गा पूजा कार्निवल’ का विरोध स्वरूप बहिष्कार करने और कनिष्ठ चिकित्सकों के आंदोलन के साथ एकजुटता प्रकट करने का आग्रह किया है. वाम मोर्चा ने सोमवार को मांग की कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ”आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों को तत्काल बैठक के लिए बुलाएं.” वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने ममता बनर्जी को लिखे एक खुले पत्र में अनुरोध किया कि वह इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं क्योंकि चिकित्सकों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल 10वें दिन में प्रवेश कर गई है.

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